राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा मोता सिंह नगर में एक विशेष कार्य -क्रम करवाया गया जिसमें अपस्थित जनसमूह को संम्बोधन करते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मनजीत भारती जी ने अपने प्रवचनो में कहा कि एकता एवं संघबद्ध होकर चलना ही संतो की वाणी है,हमारे महापुरूषों ने कहा है कि एकता में चलने में इतनी शक्ति है कि हम पर्वतों का भी सिर झुका सकते हैं, आँधियों का रूख मोड सकते हैं ,अगर हम एकमुठ होकर चलते हैं तो असंभव को भी संभव कर सकते हैं ,और जो संघबद्ध होकर नही चलता वे नरकगामी है,ऐसे संस्कारों को हमारे संत महापुरूष हम सब में रोपित करना चाहते हैं,राष्ट््ररीय एकीकरण विभिन्न जातियों ,संस्कृतियों ,धर्मोर्ं और क्षेत्रों से रहने के बाद भी एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए देश के लोगों के बीच आम पहचान की भावना को दर्शाता है,यह अलग समुदाय के लोगों के बीच एक प्रकार की जातीय और सांस्कृतिक समानता लाता है,यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मो को जैसे हिंदू,बौद्ध ,ईसाई,जैन ,इस्लाम ,सिख और पारसी धर्मो को विभन्न संस्कृति खान पान की आदतों ,पंरम्पराओं, पोशाकों,और सामाजिक रीती रिवाजों के साथ शामिल करता है। राष्ट्रीय एकता की राह में बहुत सी बुरी ताकतें आती हैं ,जो विभिन्न संप्रदायों के लोगों के बीच संघर्ष की भावना पैदा करती है, जिसका परिणाम एकता और प्रगति के रास्ते को नष्ट करने के रूप में प्राप्प्त होती है,समाजवाद एकता और प्रगति के राह में सबसे बडा खतरा है,इसका सबसे बडा उदहारण भारत की आजादी के दौरान 1947 में पाकिसतान का बँटवारा है,जिसके अर्न्तगत कई लोगों ने अपना जीवन अपने घरों को खो दिया भारत पर शासन करने का मुख्य बिन्दु सांप्रदायिकता था ,उन्होनें भी हिन्दुंओं और मुस्लमानों को विभाजित किया और शासन किया ,अब,यह कहते हुए भी दुख होता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद भी सांप्रदायिकता की भावना नही गयी है,इसका महान उदहारण कार्य नियुकतियां ,राजनैतिक चुनाव और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के समय जाति का महत्व शामिल है,यहां तक के लोग अन्य जातियों से बात करने से बचते हैं, यही कारण है कि आज आजादी के 60 साल बाद भी भारत विकासयील देशों का गिनती में हैं विकसित देशों की श्रेणी में नही, इसी जरूरत को महसूस करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 20 नवंम्बर को मनाया जाता है, इस दिन एक साथ सामाज के विभिन्न वर्गो के लोग राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए इक्टठे होते हैं और प्रण लेते हैं कि इस सदभावना और एकता को बनाए रखेंगे ,लेकिन इस एकता सदभावना को बनाए रखने के लिए जरूरी है,उस सत्य से जुडना और प्रमात्मा के प्रत्यक्ष दर्शन करना,जिससे हम हर एक जीव आत्मा में प्रभु की शवि को देख कर सदभाव बनाए रख पाएँ,